अपने परिवार, परिजन, मित्र गण, देश, माटी, गुरुजन से कोसों दूर इस परदेश में जहाँ ना अपनी भाषा की खुशबू, ना रिश्तों की गरमाहट, ना अपने पर्व-त्योहार का उमंग | रोजी-रोटी, जीवन की आपा-धापी में कहीं जीवन यूँही न गुजर जाए …. इस विदेशी माटी पे भी अपने ठेठ बिहारी, पूर्वांचली, भोजपुरी, अंगिका, मगही, मैथिली […]
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